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 अब सेवानिवृति के बाद कर्मचारियों को मिलेगी 45 प्रतिशत पेंशन सरकार ने दी खुशखबरी 

 
सरकार ने दी खुशखबरी,
नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के मौजूदा पेंशन सिस्टम NPS की समीक्षा के लिए गठित समिति हितधारकों से राय ले रही है। अभी तक समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। 
वित्त मंत्रालय ने अप्रैल में वित्त सचिव टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता में यह समिति गठित की थी। यह समिति सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना (Pension Scheme) की समीक्षा करने और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जरूरी बदलाव के बारे में सुझाव देने के लिए गठित की गई थी। मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट में कहा, 'सोमनाथन समिति संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।'

कुछ राज्य सरकारें पुरानी पेंशन को बहाल कर रही हैं…

केंद्र की मोदी सरकार के अलावा जो विपक्षी पार्टियां राज्यों में सत्तसीन हैं वे पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल कर रही हैं। आपको बतादें केंद्र सरकार की स्कीम के विरोध में बीजेपी शासित राज्यों ने भी टिप्पणी की है। इस मुद्दे को कई राजनीतिक दल चुनावों में उपयोग करने की कोशिश की तो सरकार ने आगामी 2024 के आम चुनावों को देखते हुए एनपीएस की समीक्षा के लिए अप्रैल के महीने में एक समिति गठित किया था।

40 से 45% तक मिलेगी पेंशन

यदि नेशनल पेंशन स्कीम को देखें तो सरकार का इरादा और समिति की सिफारिशों को देखते हुए ऐसा लगता है कि सरकार न्यूनतम पेंशन अंति सैलरी का 40 से 45 फीसदी पेंशन दे सकती है। सरकार कर्मचारियों को साधने के लिए और अर्थव्यवस्था के बीच तालमेल बनाने की कोशिश में है। दरअसल कर्मचारियों को दिये जाने वाले पेंशन से सरकार के बजट पर बड़ा भार पड़ता है।

ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में अंतर

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यदि ओल्ड पेंशन स्कीम को देखें तो सरकारी कर्मचारियों की जो रिटायरमेंट से पहले वाली अंतिम सैलरी होती थी उसका 50 फीसदी हिस्सा पेंशन में मिलता था। जबकि कर्मचारी को अपनी नौकरी से कोई योगदान नहीं देना होता था। जबकि यदि सरकार जिस नेशनल पेंशन स्कीम को लाने पर विचार कर रही है उसमें कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा देना होगा। दूसरी ओर सरकार को अब पूरा योगदान ना देकर मात्र 14 फीसदी योगदान ही देना होगा।

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