पेट्रोल का खेल खत्म, इस सस्ते ईंधन से फर्राटे भरेंगी कार और बस
ये बसें हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलती हैं. इनमें 30 किलो कैपेसिटी के चार सिलेंडर लगे होते हैं. इससे 350 किलोमीटर की यात्रा मुमकिन है.
इन चारों हाइड्रोजन सिलेंडर को रिफिल करने में महज 10 मिनट का समय लगता है.
इंडियन ऑयल कार्पोरेशन ने टाटा मोटर्स के साथ मिलकर ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया है.
ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल 3 गुना ईंधन की बचत करता है.
आमतौर पर शहर में चलने वाली डीजल बस 1 लीटर में 3 किलोमीटर का माइलेज देती है. हाइड्रोजन बस एक किलो हाइड्रोजन से 12 किलोमीटर का माइलेज देने वाली है.
सीईईडब्ल्यू की डॉ हिमानी जैन के मुताबिक भविष्य हाइड्रोन से चलने वाले वाहनों का है. इससे लंबी दूरी के भारी वाहनों का पूरा परिदृश्य बदल जाएगा. लेकिन इसके लिए हाइड्रोन रीफिलिंग स्टेशन का नेटवर्क बढ़ावा बेहद जरूरी है.
1 किलो ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन में 9 किलो डीआयनाइज्ड वॉटर और 50 यूनिट अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है.
फरीदाबाद में सोलर पीवी पैनल का यूज कर इलेक्ट्रोलिसिस के प्रक्रिया से ग्रीन हाइड्रोजन प्रोड्यूस किया जा रहा है.