पोला तिहार: छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय त्योहार, पोला को बाजारों, मिट्टी के बैलों, ओखली और चक्कियों से सजाया जाता है।

आज भी होती है आंचल में बेल दौड़ प्रतियोगिता (पोला तिहार)
छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश माना जाता है इसलिए यह पर्व यहां खास तौर पर मनाने की पुरानी परंपरा है. पोला पर्व पर किसान अपने बैलों को नहला धुलाकर सजा-संवार कर पूजा अर्चना पश्चात् गांव के बाहर मैदान में लाते हैं. जहां बैलों की दौड़ होती है। ग्रामीण अंचलों के कई स्थानों पर यह परंपरा आज भी जीवित है.
सज चुकी है दुकानें
पोला त्यौहार पर मिट्टी के बैल और खिलौने लोगों के आकर्षण का केंद्र होते हैं. इसलिए शहर की प्रमुख बाजारों में और सड़कों के किनारे मिट्टी के बैल और खिलौनों की दुकानें सज चुकी है. इस त्यौहार पर बच्चों द्वारा खेले जाने वाले मिट्टी के बैल और लड़कियों के लिए मिट्टी के बने रसोई के सेट और पोरा और चक्कियां खास होते हैं.
पोला त्यौहार में बनाये जाने वाले पकवान और व्यंजन
घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं. गुड़हा, चीला, अनरसा, सोहारी, चैसेला, ठेठरी, खुरमी, बरा, मुरकू, भजिया, मूठिया, गुजिया छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.