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जज की सफलता की कहानी: पिता के साथ पंक्चर, मां के साथ सिले महिलाओं के कपड़े, अब जज की कुर्सी पर बैठेंगे अहद

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Success Story
 

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. मशहूर कवि दुष्यंत कुमार की यह कविता संगम नगरी प्रयागराज के अहद अहमद पर पूरी तरह फिट बैठती है. अहद अहमद कुछ साल पहले तक कभी पिता के साथ साइकिल का पंचर बनाते थे तो कभी मां का हाथ बटाते हुए महिलाओं के कपड़े सिलते थे, लेकिन अब जज बन चुके हैं. 30 अगस्त को यूपी में पीसीएस जे यानी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की भर्ती के जो नतीजे जारी हुए उसमें अहद अहमद का भी नाम है. अहद को यह कामयाबी पहली ही कोशिश में मिली है, वो भी बिना किसी कोचिंग. 

पंचर बनाने वाले का बेटा बना जज
साइकिल का पंचर बनाने वाले के बेटे की कामयाबी पर प्रयागराज के लोग फूले नहीं समा रहे हैं. कहीं उसकी कामयाबी का जश्न मनाया जा रहा है तो कोई खास अंदाज में अहद और उसके परिवार को मुबारकबाद दे रहा है. अहद की कामयाबी इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि साइकिल का पंक्चर बनाकर परिवार का पेट पालने वाले पिता ने दिन-रात कड़ी मेहनत कर उसे पढ़ाया है. 

फिल्म घर द्वार देखकर मां को आया आईडिया, बदल गई जिंदगी
बेटे अहद को पढ़ा लिखा कर कामयाब इंसान बनने का आईडिया उनकी मां अफसाना को फिल्म घर द्वार देखकर आया. इस फिल्म को देखने के बाद ही उन्होंने तय किया कि पति के पंचर की दुकान से परिवार का पेट चलेगा और वह लेडीज़ कपड़ों की सिलाई कर बच्चों को पढ़ाएंगी. अहद अहमद प्रयागराज शहर से तकरीबन किलोमीटर दूर नवाबगंज इलाके के छोटे से गांव बरई हरख के रहने वाले हैं. गांव में उनका छोटा सा टूटा-फूटा मकान है. घर के बगल में ही उनके पिता शहजाद अहमद की साइकिल का पंचर बनाने की छोटी सी दुकान है. इसी दुकान में वह बच्चों के लिए टॉफी व चिप्स भी बेचते हैं. पिता की पंचर की दुकान अब भी चलती है. पिछले कुछ सालों से आहट यहां नियमित तौर पर तो नहीं बैठते लेकिन कभी कभार पिता के काम में हाथ जरूर बटा लेते हैं.

एक भाई इंजीनियर तो दूसरा बैंक मैनेजर
अहद अहमद चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके माता-पिता ने सिर्फ अहद अहमद को ही नहीं पढ़ाया बल्कि अपने दूसरे बच्चों को भी तालीम दिलाई. अहद के बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुके हैं तो छोटा भाई एक प्राइवेट बैंक में ब्रांच मैनेजर है. परिवार में खुशियां हाल के दिनों में ही एक साथ आई हैं. 

हमेशा याद रहेगी माता-पिता की हिदायत: अहद
अहद का कहना है कि माता-पिता ने उन्हें न सिर्फ मुफलिसी और संघर्ष में पाल पोसकर इस मुकाम तक पहुंचाया है, बल्कि हमेशा ईमानदारी और नेक नियति से कम करने की नसीहत भी दी है. माता-पिता की इस हिदायत पर वह उम्र भर अमल करने की कोशिश करेंगे. अहद के मुताबिक उन्हें यह बताने में कतई झिझक नहीं होगी कि वह एक पंचर वाले के बेटे हैं. पिता शहजाद अहमद को वह अब आराम देना चाहते हैं. हालांकि जज बनने के बावजूद वह अब भी कभी-कभी पिता के काम में हाथ बंटा लेते हैं

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