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 Indian Railway:  भारतीय रेलवे के जंक्शन, टर्निमल और सेंट्रल में क्या अंतर है?

 
Indian Railway:  भारतीय रेलवे के जंक्शन, टर्निमल और सेंट्रल में क्या अंतर है?
 

Rail Intresting Details: रेलवे स्टेशनों के नाम पर कभी विचार किया है तो इसके पीछे भी कुछ संबंध है। जो अलग अर्थ देता है। आज हम आपको रेलवे स्टेशन नाम के बारे में बताने जा रहे हैं। आपने कभी सोचा है कि एक रेलवे स्टेशन के पीछे एक जंक्शन, एक स्टेशन और एक टर्निमल लगा होता है? भारत का रेल नेटवर्क लगभग 65 हजार किलोमीटर है। भारत में 7349 रेलवे स्टेशन हैं। तो चलिए देखें कि इन तीनों में क्या फर्क है।

टर्मिनल और टर्मिनस को एक दूसरे से कोई फर्क नहीं है। टर्मिनल आखिरी स्टेशन है, जहां से कोई ट्रेन आगे नहीं जाती। मतलब रूट का आखिरी स्टेशन है। यही कारण है कि इन्हें टर्मिनल कहा जाता है। टर्मिनल शब्द टर्मिनेशन से बना है, जो खत्म होने का अर्थ है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और आनंद विहार टर्मिनल इनमें से कुछ हैं।

जंक्शन: किसी जगह का नाम "जंक्शन" होता है, तो आप जानते हैं कि यहां से दो से अधिक ट्रेन रूट निकलते हैं। इसका अर्थ है कि कम से कम दो ट्रेनें यहां से एक साथ आ-जा सकती हैं। मथुरा में सबसे ज्यादा रेलवे रूट हैं, जहां से सात रूट निकलते हैं। वहीं सेलम जंक्शन से छह गाड़ियां निकलती हैं। किंतु बरेली और विजयवाड़ा जंक्शन से पांच-पांच ट्रेन निकलती हैं।

सेंट्रल: किसी स्टेशन पर "सेंट्रल" लिखा है, तो उसे शहर का मुख्य और पुराना स्टेशन समझिए। यहां कई ट्रेनें एक साथ आती-जाती हैं। दूसरे रेलवे स्टेशन उन शहरों में बनाए जाते हैं जहां सेंट्रल स्टेशन भी हैं। मुंबई सेंट्रल, कानपुर सेंट्रल और चेन्नई सेंट्रल प्रमुख सेंट्रल स्टेशन हैं। बड़े शहरों को एक-दूसरे से सिर्फ सेंट्रल स्टेशन से जोड़ा जाता है।

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