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eSIM vs Physsical SIM: eSIM और क्यों होगी इसकी जरूरत? यहां जानें इसके हानि और लाभ

 eSIM vs physical SIM : eSIM टेक्नोलॉजी भारत में लंबे समय से है। लेकिन इसका इस्तेमाल कितना सही और सुरक्षित है? क्या ये रेगुलर सिम की तुलना में अच्छा कवरेज देता है। और क्या इसे यूज़ करना झंझट का काम है? ऐसे कुछ सवाल है। जिनके चलते लोग eSIM का इस्तेमाल करने से बचते हैं।
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eSIM, Physical SIM
 

नई दिल्ली। इस डिजिटल युग में सबके हाथ में मोबाइल फोन है। संभव है कि ये आर्टिकल भी आप अपने मोबाइल फोन पर ही पढ़ रहे होंगे। अब मोबाइल यूज़ करते हैं। तो आप जानते ही होंगे कि ये SIM क्या बला है। वही जियो, एयरटेल, Vi या कुछ केसेस में BSNL, MTNL की एक छोटी-सी चिप, जो आपके फोन में लगती है। फिर फोन में नेटवर्क आता है। और फिर उसी नेटवर्क का इस्तेमाल आप अपना फोन चलाने में करते हैं।

पहले बड़े साइज़ में सिम आता था। समय के साथ वो छोटा होता गया, स्टैंडर्ड से माइक्रो हुआ और माइक्रो से नैनो हो गया। जिस सिम हो हम छू सकते हैं। उसे फिजिकल सिम कहा जाता है। 

अब कई फोन मैनुफैक्चर्स अपने फोन में eSIM की सुविधा भी देने लगे हैं। पर ये है क्या, कैसे काम करता है। और Physical SIM से कैसे अलग है। eSIM को लेकर अक्सर इसी तरह के सवाल सामने आते हैं। इस आर्टिकल में हम इन्हीं सवालों को जवाब जानने की कोशिश करेंगे। पर पहले एक कहानी सुन (मतलब पढ़) लीजिए।

सिंपल फोन, डुअल सिम फोन, डुअल सिम स्मार्टफोन… अब eSIM फोन

एक टाइम था जब मोबाइल फोन में केवल एक सिम स्लॉट आता था। 2010 में नोकिया ने भारत में पहला डुअल सिम फोन लॉन्च किया। डुअल सिम फोन्स का मकसद था अपने काम और पर्सनल कॉन्टैक्ट्स के लिए अलग-अलग नंबर इस्तेमाल करना। जिन कर्मचारियों को दफ्तर की तरफ से अलग नंबर दिया जाता था, उनके लिए ये फोन वरदान साबित हुए। 

फिर कई और कंपनियों ने डुअल सिम फोन लॉन्च करने शुरू किए। साल 2011 में मोटोरोला ने भारत का पहला डुअल सिम एंड्रॉइड फोन लॉन्च किया। इसके बाद एंड्रॉइड मार्केट में डुअल सिम फोन्स ने खूब धमाल मचाया। लगभग हर फोन डुअल सिम के साथ आने लगा।

पर तब भी डुअल सिम की ज़रूरत बहुत कम लोगों को होती थी। ऐसे में ज्यादातर लोगों के फोन का दूसरा सिम स्लॉट खाली ही रह जाता था। वजह थी- कौन दो-दो नंबर पर रीचार्ज करवाए। पर 2016 में जियो आया। जियो ने शुरुआत में सबकुछ फ्री में ऑफर किया। कॉलिंग, SMS और डेटा सबकुछ फ्री। लेकिन जियो के आने से पहले एक और चीज़ हो चुकी थी, बैंक से लेकर पैन और आधार तक लगभग हर ज़रूरी पोर्टल पर लोगों के नंबर रजिस्टर्ड हो चुके थे। वहीं, जियो का ऑफर भी बेहद प्रॉमिसिंग था और लोगों के फोन में सिम के लिए एक खाली स्लॉट तो था ही। उन्होंने ले लिए जियो के सिम।

6-7 महीने बाद जब जियो ने फ्री सर्विस बंद की, तब तक लोगों के जियो के नंबर बंट चुके थे। लोग जियो को पर्सनल नंबर और पुराने नंबर को बिजनेस नंबर बना चुके थे। तो उन्होंने दोनों नंबर जारी रखे, क्योंकि जियो पर उन्हें बेहतर नेटवर्क और तेज़ इंटरनेट तो मिल ही रहा था। जिन लोगों के 2 सिम रखने की वजह जियो नहीं भी था, उनके पास वजह ये थी कि तब इंटर-स्टेट नंबर पोर्टेबिलिटी नहीं थी।

 तो लोग होम टाउन का नंबर जो बचपन के दोस्तों, रिश्तेदारों के पास है वो अलग चलाने लगे। वहीं, काम या पढ़ाई नई जगह का नंबर अलग चलाने लगे। क्योंकि काम तो दोनों ही नंबर आ रहे थे।

पर अब स्मार्टफोन यूजर्स का एक बड़ा चंक प्रीमियम स्मार्टफोन्स की तरफ शिफ्ट हो रहा है। प्रीमियम स्मार्टफोन्स में टॉप पर ऐपल के iPhones बने हुए हैं। अब आई फोन हमेशा से सिंगल सिम वाले फोन्स बनाता रहा है। ऐसे में दो नंबर चलाने के लिए लोगों को दो फोन रखने पड़ते थे। बढ़ती मांग के बीच iPhoneXS, iPhone XS MAX और iPhoneXR के साथ ऐपल ने ईसिम लॉन्च किया। 

वैसे उससे पहले सैमसंग अपने गियर S2 स्मार्टवॉच औरपल अपने ऐपल वॉच के साथ ईसिम लॉन्च कर चुके थे। इनफैक्ट अमेरिका में लॉन्च हुए iPhone 14 सीरीज़ के सारे फोन्स में केवल सिम सपोर्ट है। फिजिकल सिम का ट्रे नहीं दिया गया है। ऐपल से पहले गूगल ने पिक्सल 2 को ईसिम सपोर्ट के साथ मार्केट में उतारा था। अभी के समय में लगभग सभी प्रिमियम मोबाइल फोन्स ईसिम की सुविधा के साथ आते हैं।

पर ये eSIM क्या है

eSIM को आप SIM कार्ड का डिजिटल वर्जन मान सकते हैं। इस सिम को आपको दुकान जाकर खरीदना नहीं पड़ता, बल्कि इसके लिए आपके फोन में पहले से एक सिम चिप मौजूद होता है, आपको इंटरनेट की मदद से इस चिप को अपने नंबर और नेटवर्क प्रोवाइडर से अटैच करना होता है। eSIM जनरेट करने के लिए आपको केवल वाई-फाई कनेक्शन की ज़रूरत है।

 eSIM की सुविधा देने वाले सभी फोन फिजिकल सिम स्लॉट के साथ भी आते हैं, ताकि जो लोग फिजिकल सिम यूज़ करना चाहते हैं, वो यूज़ कर सकें। केवल iPhone 14 सीरीज़ के US वर्जन फोन में फिजिकल सिम स्लॉट नहीं हैं। वहीं, चीन एक ऐसा देश है जहां पर eSIM काम नहीं करता है। eSIM के इस्तेमाल के लिए बस दो चीज़ें ज़रूरी हैं, एक आपका फोन उसके लिए कम्पैटिबल हो और दूसरा जिस नेटवर्क का आप इस्तेमाल करना चाहते हैं वो ईसिम की सुविधा देता हो।

Physicl SIM से किन मामलों में अच्छा है eSIM

– eSIM में नंबर पोर्ट करना आसान है। अगर आपको लग रहा है कि आपका eSIM जिस नेटवर्क पर चल रहा है, उसमें दिक्कत है तो सेटिंग में जाकर अपने eSIM का नेटवर्क बदल सकते हैं। ये काम कुछ ही मिनटों में हो जाएगा। वहीं, फिजिकल सिम के केस में आपको पहले एक एसएमस भेजकर पोर्ट करने की रिक्वेस्ट डालनी होती है। उसके बाद दूसरा नेटवर्क प्रोवाइडर या तो आपके घर पर सिम डिलीवर करता है या फिर आपको स्टोर पर जाकर सिम लेना पड़ता है। आपको वेरिफिकेशन की पूरी प्रोसेस से गुज़रना होता है। इसके बाद सिम एक्टिवेट होने में दो से तीन दिन का समय लगता है।

SIM में आप टेम्पररी तौर पर नेटवर्क बदल सकते हैं। इसके लिए आपको सिम कार्ड लेने की ज़रूरत नहीं है। मान लीजिए कि आप ट्रैवल कर रहे हैं, जहां गए हैं वहां पर आपके नेटवर्क प्रोवाइडर की सर्विस अच्छी नहीं है, ऐसे में आप अपना नेटवर्क बदल सकते हैं। ऐसा इसलिए पॉसिबल है क्योंकि eSIM में कई नेटवर्क प्रोफाइल्स सेव होते हैं, जबकि फिजिकल सिम में केवल एक नेटवर्क की प्रोफाइल सेट होती है। eSIM ऐसे लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो ज्यादा ट्रेवल करते हैं।

eSIM एनवायर्नमेंट फ्रेंडली होते हैं।क्योंकि उनमें किसी भी तरहा कोई फिजिकल कार्ड इस्तेमाल नहीं होता है। न ही उसे भेजने के लिए पैकेजिंग की ज़रूरत होती है। इसका मतलब है कि ईसिम में कोई वेस्ट नहीं होता है। जबकि फिजिकल सिम प्लास्टिक का होता है। उसकी केसिंग बड़ी होती है, इसके साथ ही उसे लिफाफे में डालकर आपको दिया जाता है।

आमतौर पर जब फोन चोरी होता है तो चोर सबसे पहले फोन का सिम निकालकर का फेंकता है। वहीं, eSIM फोन में ही एम्बेड होता है। तो अगर कोई चोर आपका फोन चुराता है तो eSIM को तुरंत डिएक्टिवेट नहीं कर सकता। और वो कोई जुगत भिड़ा पाए, उससे पहले आपके पास पर्याप्त समय होता है कि आप पुलिस या ट्रैकर की मदद से अपने फोन तक पहुंच जाएं।

eSIM से किन मामलों में बेहतर है Physical SIM

फिजिकल सिम में फोन बदलना आसान होता है। आपको बस एक फोन से निकालकर दूसरे फोन में सिम लगा देना है, वो काम करने लगेगा। पर नए फोन में eSIM एक्टिवेट करने के लिए आपको पूरी प्रोसीजर से दोबारा गुज़रना पड़ेगा। आपको पुराने फोन पर सिम को डिएक्टिवेट भी करना होगा। ये पूरी प्रोसेस वैसे तो ज्यादा लंबी है नहीं, फिजिकल सिम बदलना कम्पैरेटिवली ज्यादा आसान है। तो अगर आप बार-बार फोन बदलते हैं तो बार-बार ईसिम बदलना आपके लिए हेडेक हो सकता है।

सभी नेटवर्क और सभी देश eSIM सपोर्ट नहीं देते हैं। भारत में तीनों बड़े नेटवर्क प्रोवाइडर्स eSIM सपोर्ट देते हैं। पर अगर आप काम के सिलसिले में या घूमने के लिए चीन चले गए, तो आप वहां अपना eSIM इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जबकि लोकल वेंडर से फिजिकल सिम खरीदकर आप वहां पर चला सकते हैं।

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