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अब नहीं चीन की जरूरत, नया लीथियम रिजर्व भारत को बनाएगा ‘आत्मनिर्भर’

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देगाना से कभी निकलता था टंगस्टन राजस्थान में देगाना की रेणवत पहाड़ी के आसपास लीथियम का भंडार मिला है. ये वही इलाका है जहां से कभी देश को टंगस्टन की सप्लाई होती थी. अंग्रेजों के शासन काल में 1914 में इस इलाके में टंगस्टन की खोज की गई थी. टंगस्टन का मुख्य इस्तेमाल बल्ब, हीटर और प्रेस के फिलामेंट बनाने में होता है.  उस दौर में अंग्रेजी फौज के लिए टंगस्टन से सामान बनाया जाता था. पहले विश्वयुद्ध में इसका इस्तेमाल हुआ. आजादी के बाद टंगस्टन से सर्जीकल इंस्ट्रूमेंट बनाए जाने लगे. बाद में चीन से सस्ते आयात के चलते राजस्थान से टंगस्टन निकालने का काम बंद कर दिया गया.
 

भारत अपनी इकोनॉमी को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर शिफ्ट करने की चाहत रखता है. इसके लिए सबसे जरूरी है ‘बैटरी’ और उसे बनाने के लिए ‘लीथियम’. इसके लिए भारत की चीन पर निर्भरता अब बीते दिनों की बात हो जाएगी, क्योंकि राजस्थान में देश का दूसरा लीथियम रिजर्व मिला है.

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और माइनिंग विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान के नागौर जिले में देगाना के पास एक बड़े लीथियम रिजर्व का पता लगाया है. अभी इसकी कैपेसिटी के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि ये इससे पहले जम्मू-कश्मीर में मिले रिजर्व से ज्यादा बड़ा है.

राजस्थान करेगा देश की 80% डिमांड पूरी

देगाना के लीथियम रिजर्व के बारे में दावा किया जा रहा है कि ये बैटरी के लिए भारत की 80 प्रतिशत जरूरत को पूरा कर देगा. ऐसे में भारत को लीथियम के लिए चीन पर निर्भर नहीं होना होगा. माना जा रहा है कि इस लीथियम रिजर्व की बदौलत राजस्थान के दिन तो सुधर ही जाएंगे, बल्कि भारत चीन की मोनोपॉली को तोड़कर एक्सपोर्ट भी कर सकेगा.

भारत ने 2030 तक देश में बिकने वाले कुल व्हीकल में से 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक व्हीकल बेचने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए भारत को अपनी नॉन-फॉसिल यानी गैर-जीवाश्म ईंधन की क्षमता 2030 तक बढ़ाकर 500 गीगावाट करनी है.

लाखों करोड़ में है लीथियम रिजर्व की वैल्यू

राजस्थान के लीथियम रिजर्व का आकार अभी पता नहीं चला है. लेकिन जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम भंडार ही लाखों करोड़ रुपये की वैल्यू रखता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में नॉन-फेरस मेटल लीथियम के एक टन का मूल्य 57.36 लाख रुपये के आसपास है. ऐसे में 59 लाख टन लीथियम की वैल्यू करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये बैठती है.

देगाना से कभी निकलता था टंगस्टन

राजस्थान में देगाना की रेणवत पहाड़ी के आसपास लीथियम का भंडार मिला है. ये वही इलाका है जहां से कभी देश को टंगस्टन की सप्लाई होती थी. अंग्रेजों के शासन काल में 1914 में इस इलाके में टंगस्टन की खोज की गई थी. टंगस्टन का मुख्य इस्तेमाल बल्ब, हीटर और प्रेस के फिलामेंट बनाने में होता है.

उस दौर में अंग्रेजी फौज के लिए टंगस्टन से सामान बनाया जाता था. पहले विश्वयुद्ध में इसका इस्तेमाल हुआ. आजादी के बाद टंगस्टन से सर्जीकल इंस्ट्रूमेंट बनाए जाने लगे. बाद में चीन से सस्ते आयात के चलते राजस्थान से टंगस्टन निकालने का काम बंद कर दिया गया.

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