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Aaj Ka Panchang 13 May: आज का पंचांग 13 मई: शनिवार का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल मुहूर्त

 हिंदी में आज का पंचांग: एक महीने में तीस तिथियां होती हैं और इन तिथियों को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं।
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Aaj Ka Panchang 13 May: शनिवार का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
 13 मई 2023 का दैनिक पंचांग/आज का पंचांग: हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की विशिष्ट गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बनता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्य का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। आइए जानते हैं आज के शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।

तिथि अष्टमी 06:51 तक
नक्षत्र धनिष्ठा 11:35 तक
करण
कौलव
अस्थायी

06:51 तक
17:45 तक

पक्ष कृष्ण
बुद्धिमान शनिवार
योग ब्रह्म 09:22 तक
सूर्योदय 05:33
सूर्यास्त 19:01
चंद्र कुंभ 00:18 तक
राहुकाल 08:55−10:36
विक्रमी संवत 2080
शक संवत 1944
महीने पुराना
शुभ मुहूर्त अभिजीत 11:50 – 12:44

पंचांग के पांच भाग
तारीख
हिन्दू पंचांग के अनुसार 'चंद्र रेखा' को 'सूर्य रेखा' से 12 डिग्री ऊपर जाने में जितना समय लगता है उसे तिथि कहते हैं। एक मास में तीस तिथियां होती हैं और इन तिथियों को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। तिथि की ना - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।


 
नक्षत्र : आकाश में स्थित तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। इसमें 27 नक्षत्र शामिल हैं और इन नक्षत्रों का स्वामित्व नौ ग्रहों के पास है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठ नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

वार: वार का अर्थ है दिन। एक हफ्ते में सात हमले होते हैं। इन सात काल का नाम ग्रहों के नाम पर रखा गया है - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।

योग: नक्षत्र की तरह योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की दशाओं को योग कहते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम-विषकुंभ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगंड, सुकर्मा, धृति, शूल, गंड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वरियान, परिघ, शिव , सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्मा, इन्द्र और वैधृति।

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। कुल 11 करण हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- बाव, बलव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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