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 हरियाणा में बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार के सामने क्या चुनौती है?
 

 
Public Haryana News
 हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन वापस लेने के बाद मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

नायब सिंह सरकार अल्पमत में आ गई है, कहते हैं कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)।


जननायक जनता पार्टी के नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी फ़्लोर टेस्ट की मांग करते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा है।

साथ ही, सीएम नायब सिंह सैनी ने बहुमत का दावा किया है और विधानसभा में इसे साबित करेंगे।

मौजूदा स्थिति क्या है?

हरियाणा

राजनीतिज्ञ हरियाणा सरकार पर इस संकट को कैसे देखते हैं, इस पर बात करेंगे।

लेकिन इससे पहले विधानसभा की वर्तमान स्थिति को समझना चाहिए।


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हर दिन: हरियाणा में बीजेपी विधायक दल ने दो महीने पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को अपना नेता चुना।

12 मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी ने शपथ ली, और 13 मार्च को विधानसभा में बहुमत हासिल किया।

लेकिन तीन विधायकों का समर्थन वापस लेने से नए हालात पैदा हुए हैं।



हरियाणा में ९० सीटें हैं। फिलहाल दो सीटें खाली हैं, जो बहुमत को 45 पर लाता है।

रानियां और करनाल विधानसभा सीटों में दो खाली सीटें हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल अब करनाल से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके त्यागपत्र से यह सीट खाली है। 25 मई को इस पद पर उपचुनाव होगा।
रानियां सीट पर निर्दलीय जीतकर आए चौधरी रणजीत सिंह चौटाला को अब बीजेपी ने हिसार लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है, इसलिए उनकी सीट भी खाली है।

अब बचे हुए 88 विधायकों की बात होगी। बीजेपी के 40 विधायक हैं, 30 कांग्रेस के हैं और 10 जननायक जनता पार्टी के हैं।


इसके अलावा, हरियाणा लोकहित पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल से 1-1 विधायक हैं।

हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने सिरसा और इनेलो से अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद में जीत हासिल की थी।

हरियाणा में छह निर्दलीय विधायक हैं, जो बहुमत का निर्णय दे सकते हैं।

 

1. नीलोखेड़ी लेखक: धर्मपाल गोंदर

2. पूंडरी: राजेन्द्र सिंह गोलन

3. दादरी: सोमबीर सिंह

4. मेहम-बलराज सिंह कुंडू

5. नयनपाल रावत

6. बादशाहपुर: राकेश दौलताबाद

इसका अर्थ है कि फिलहाल बीजेपी के पास केवल दो निर्दलीय विधायक हैं।

यह आंकड़ा, बीजेपी के 40, निर्दलीय 2 और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा को मिलाकर 43, बहुमत से कम है।

हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि वह सरकार के खिलाफ वोट देंगे अगर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है।

वहीं बीजेपी को बहुमत मिलेगा अगर इनेलो के अभय सिंह चौटाला और निर्दलीय विधायक बलराज सिंह कुंडू उसका समर्थन करेंगे।


इन छह विधायकों में से तीन ने बीजेपी का समर्थन वापस लिया है, जबकि मेहम से विधायक बलराज सिंह कुंडू ने बीजेपी को 13 मार्च को पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव में समर्थन नहीं दिया।

हालाँकि, इंडियन नेशनल लोकदल से विधायक अभय चौटाला और मेहम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने अभी तक अपनी राय नहीं दी है।

किसने क्या दावा किया

दुष्यंत चौटाला

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया है।

उनका कहना था कि "तीन निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया।:''

जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन की वापसी के बाद अब बीजेपी सरकार अल्पमत में आ चुकी है। इसलिए हरियाणा में राष्ट्रपति शासन और विधानसभा चुनावों का तुरंत आयोजन किया जाना चाहिए। कांग्रेस आ रही है और भाजपा जा रही है।"

नायब सिंह सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई है, जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा।
दुष्यंत चौटाला ने कहा, "हरियाणा में दो महीने पहले जो सरकार बनी थी, वह अल्पमत में चली गई है। सरकार को सपोर्ट करने वाले दो विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। तीन विधायकों ने सरकार का समर्थन वापस ले लिया है और राज्यपाल को पत्र भी लिखा है।"

दुष्यंत चौटाला ने कहा, "जेजेपी ने खुलकर कहा है कि अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो हम अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।" हमने राज्यपाल को भी पत्र भेजा है। फ़्लोर टेस्ट को बुलाने का अधिकार राज्यपाल को है।"

कांग्रेस को यह कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस के 30 अन्य सदस्यों और सरकार की अल्पमत पर राज्यपाल को पत्र लिखकर भेजें।"


लेकिन बीजेपी सरकार को कोई खतरा नहीं है, ऐसा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "देश में चुनावी माहौल है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कहाँ जाता है या नहीं जाता है। हम कई विधायकों से संपर्क कर रहे हैं। इसलिए किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए। कब, कौन काम करेगा? चुनाव अभी नहीं होगा।"

 

क्या कहते हैं जानकार

सोमबीर सांगवान (सबसे बाएं), धर्मपाल गोंदर (सबसे दाएं) और रणधीर गोलन (बीच में)

नायब सिंह सैनी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, ऐसा वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री ने कहा है।

उन्होंने कहा, "फरवरी में जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, वह मनोहर लाल खट्टर की सरकार के खिलाफ लाया गया था और उसकी वैधता सीएम बदलने के साथ खत्म हो गई।" लेकिन सरकार निर्दलीय विधायकों पर निर्भर है। उन्हें मंत्री, चेयरमैन या टिकट का भरोसा नहीं दिया गया, इसलिए उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। इसी से सरकार की संख्या घटी है।"




“विश्वास प्रस्ताव अलग चीज़ है और अविश्वास प्रस्ताव अलग है,” उन्होंने कहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्यपाल विश्वासमत हासिल करने के लिए सीएम को कहता है। लेकिन विपक्ष को कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार है।"

कुमार मुकेश, हरियाणा की राजनीति पर नज़र रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार, ने कहा कि सरकार को बचाने के लिए हर संभव उपाय किया जा सकता है।

कुमार मुकेश ने कहा, "सरकार का कार्यकाल छह महीने से भी कम का बचा है। जेजेपी विधायकों को बचने की जरूरत है। यदि वे व्हिप नहीं मानते, तो बच सकते हैं।"


यहाँ सदस्यता का निर्णय हिमाचल की तरह कांग्रेस के स्पीकर से नहीं होगा। बीजेपी के प्रवक्ता निर्णय लेंगे। मामला हाई कोर्ट भी जा सकता है, जिसके लिए छह महीने लगेंगे।"

हेमंत अत्री ने कहा कि चार जून के नतीजों पर काफ़ी कुछ निर्भर करता है कि क्या नायब सिंह सैनी अपनी सरकार बचाएँगे या नहीं। नायब सिंह सैनी की सरकार भी कायम रहेगी अगर मोदी सरकार केंद्र में आती है।"


“अगर हरियाणा में कांग्रेस की सात या आठ सीटें आ जाएँ और केंद्र में मोदी सरकार नहीं बना पाए तो स्थिति अलग होगी,” वे कहते हैं। दिल्ली में बीजेपी की सरकार नहीं है, इसलिए सिर्फ बीजेपी के लोग इस्तीफा दे सकते हैं।"

अत्री कहते हैं, "वर्तमान में सरकार स्पष्ट रूप से अल्पमत में है, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते 4 जून से पहले किसी तरह का बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता. लोकसभा चुनाव के परिणाम से पहले सरकार को कोई खतरा नहीं है."

जेजेपी के विधायकों किस तरफ जाएँगे, इस सवाल पर हेमंत अत्री ने कहा, "जेजेपी के आज 10 विधायक हैं. दुष्यंत चौटाला को भी नहीं पता कि उन्हें और उनकी माँ को छोड़कर बाक़ी आठ विधायक कहाँ जाएँगे. दुष्यंत और नैना चौटाला को छोड़कर पार्टी के साथ कोई विधायक नहीं है. उन्हें जहाँ भविष्य नज़र आएगा वो वहाँ जाएँगे."

कुमार मुकेश ने कहा, "जेजेपी के छह विधायकों ने तो पार्टी से दूरी भी बना रखी है. अगर सात विधायक एक साथ आ जाते हैं तो वो पार्टी पर कब्ज़ा भी कर सकते हैं. जेजेपी के नरवाना और बरवाला से विधायक बीजेपी नेताओं के साथ स्टेज भी शेयर कर रहे हैं."

"जेजेपी के कई विधायक पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला और अजय चौटाला के ख़िलाफ़ खुलेआम बोल रहे हैं. साफ़ है कि ये विधायक जेजेपी के साथ नहीं हैं."

तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कांग्रेस को क्या हासिल हुआ, इस पर हेमंत अत्री ने कहा, "कांग्रेस यह दिखाने में कामयाब रही है कि अगर हरियाणा में हमें जिता दो, तो वो बीजेपी की सरकार बदलने में कामयाब हो सकती है."

"तकनीकी रूप से बीजेपी अल्पमत में आ गई है और कांग्रेस पार्टी इसका मनोवैज्ञानिक लाभ लेना चाहती है. कांग्रेस यह दिखा रही है कि बीजेपी को रिप्लेस करने के लिए हम नेचुरल च्वाइस हैं. बीजेपी नेताओं का विरोध भी हो रहा है. कांग्रेस उस बात का लाभ भी लेना चाहती है."

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