हरियाणा सरकार ने नगर परिषद और नगर पालिका के प्रधानों की पावर पर बड़ा फैसला
![सरकार के जारी नोटिफिकेशन के अनुसार अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अधिकारी या सचिव और लेखा प्रभारी अधिकारी संयुक्त रूप से विकास कार्य और अन्य खर्च को लेकर चेक पर हस्ताक्षर कर सकते है। इनके अलावा नगर परिषद और पालिकाओं की ओर दी जाने वाली कार्यों की स्वीकृति पहले की तरह ही रहने वाली है. यानि विकास कार्यों की मंजूरी प्रधान और पार्षदों के बोर्ड के पास रहने वाली है। 1930 के नियमों में संशोधन करने के बाद 1 करोड़ तक के काम व किसी भी टेंडर में 5 प्रतिशत तक एस्टीमेट से अधिक रेट की स्वीकृति प्रधान की अध्यक्षता में गठित वित्त एवं अनुंबंध कमेटी के पास ही रहने वाली है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने हरियाणा नगर पालिका अधिनियम 1973 की धारा 257 की उपधारा एक व दो में नगर पालिका लेखा संहिता 1930 में संशोधन किया है। सरपंचों के लिए नए नियम अभी कुछ दिन पहले पंचायती राज अधिनियन 1995 में संशोधन को मंजूरी देकर जहां विधायकों की ग्राम पंचायतों में पावर बढ़ाई गई। वहीं सरपंच ग्रांट का पैसा मनमर्जी से खर्च नहीं कर पाएंगे। उन्हें मुख्यालय से मिले आदेशों के आधार पर ही काम करना होगा।](https://publicharyananews.com/static/c1e/client/99413/uploaded/97c57e8ac604ae6bf00650626b088188.jpg?width=968&height=545&resizemode=4)
New Rules For Municipality - Municipal Council: हरियाणा सरकार ने नगर परिषद और नगर पालिका के प्रधानों की पावर पर बड़ा फैसला लेते हुए प्रधानों की ड्राइंग एंड डिस्बर्समेंट पावर खत्म कर दी है। ऐसा करने से अब प्रधान किसी भी विकास कार्य और अन्य खर्च को लेकर चेक पर अपने हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे। सरकार की तरफ से इसको लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है।
आपको बता दें कि सरकार ने पंचायती राज अधिनियन 1995 में संशोधन कर जहां एक तरफ ग्राम पंचायतों में विधायकों की 'पावर' बढ़ाई तो सरपंचों की पावर खत्म कर दी।
सरकार के जारी नोटिफिकेशन के अनुसार अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अधिकारी या सचिव और लेखा प्रभारी अधिकारी संयुक्त रूप से विकास कार्य और अन्य खर्च को लेकर चेक पर हस्ताक्षर कर सकते है। इनके अलावा नगर परिषद और पालिकाओं की ओर दी जाने वाली कार्यों की स्वीकृति पहले की तरह ही रहने वाली है. यानि विकास कार्यों की मंजूरी प्रधान और पार्षदों के बोर्ड के पास रहने वाली है।
1930 के नियमों में संशोधन करने के बाद 1 करोड़ तक के काम व किसी भी टेंडर में 5 प्रतिशत तक एस्टीमेट से अधिक रेट की स्वीकृति प्रधान की अध्यक्षता में गठित वित्त एवं अनुंबंध कमेटी के पास ही रहने वाली है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने हरियाणा नगर पालिका अधिनियम 1973 की धारा 257 की उपधारा एक व दो में नगर पालिका लेखा संहिता 1930 में संशोधन किया है।सरपंचों के लिए नए नियम
अभी कुछ दिन पहले पंचायती राज अधिनियन 1995 में संशोधन को मंजूरी देकर जहां विधायकों की ग्राम पंचायतों में पावर बढ़ाई गई। वहीं सरपंच ग्रांट का पैसा मनमर्जी से खर्च नहीं कर पाएंगे। उन्हें मुख्यालय से मिले आदेशों के आधार पर ही काम करना होगा।