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  हीरा और बादल बैल ने दिया साथ... दोस्तों ने कहा नहीं चलेगा काम, आज अमेरिका तक कोल्हू का तेल कर रहा सप्लाई

 
  हीरा और बादल बैल ने दिया साथ... दोस्तों ने कहा नहीं चलेगा काम, आज अमेरिका तक कोल्हू का तेल कर रहा सप्लाई
 करनाल:  मन की इच्छा को पूरी करने के लिए उन्होंने करीब 2 साल पहले पुस्तैनी गांव खानपुर में अपनी जमीन पर देसी कोल्हू से तेल बनाने का कार्य किया शुरू किया।हरियाणा के करनाल जिले के गांव खानपुर के रहने वाले पुष्पेंद्र ने कुछ अलग ही कर कर दिखाया है।
 ताकि लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद की जा सके। इसके लिए उन्होंने किसी आधुनिक मशीन का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि एक देसी कोल्हू लगाया। इस कार्य में उनकी मदद दो देसी बैल हीरा और बादल करते हैं। जो दिन रात कड़ी मेहनत कर सरसो, नारियल, मूंगफली, तिलहन व अलसी से तेल निकालते हैं।
बड़ी बात यह है कि जिस काम को आधुनिक मशीन कुछ घंटों में ही पूरा कर देती है वहीं इस पद्दति में एक क्विंटल अनाज से तेल निकालने के लिए 25 घंटे तक मंथन किया जाता है। पुष्पेंद्र ने बताया कि 2 साल में ही वह अमेरिका समेत कई देशों और राज्यो में कई लोगों को इन तेलों की डिलवरी दे चुके हैं।
पुष्पेंद्र के साथ इस काम में उनका छोटा भाई मनीष भी हाथ बंटाता है। उनका कहना है कि हम आज प्रकृति से दूर होकर जो खान पान अपना रहे हैं उससे आए दिन नई नई बीमारियां फैल रही है। लोगों के पास पैसा है, डाइटिशियन की सलाह से खाना, हैल्थ के लिए बंद कमरे में एक्सरसाइज करना आदि विकल्प हैं। बावजूद इसके फिर भी उन लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। इसका कारण है हमारा प्राकृति से दूर होना। अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोए रखने के लिए ही उन्होंने इस कार्य की पहल की है ताकि अन्य युवा भी हमारी संस्कृति को बचाने के लिए कदम उठा सकें।

एक कोल्हू लगाने में आता है इतना खर्च
मूलरूप से करनाल के गांव खानपुर के रहने वाला पुष्पेंद्र का परिवार काफी समय से इंद्री में रह रहे हैं। पुष्पेंद्र ने बताया कि जब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए अपने दोस्तों से बात की तो सभी ने कहा कि यह काम नहीं चलेगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत, लगन और जुनून के साथ अपना प्रोजेक्ट तैयार किया। उन्होंने बताया कि एक कोल्हू लगाने पर 60 से 90 हजार रुपये के बीच खर्च आता है।

ठंडा होता है कोल्हू का तेल

उन्होंने बताया कि कोल्हू का तेल पूरी तरह से ठंडा होता है। आधुनिक मशीन से बनने वाला तेल जहां गर्म होता है वहीं कोल्हू में तैयार तेल ठंडा होता है। आधुनिक मशीन से हम एक क्विंटल अनाज से 40 प्रतिशत तेल प्राप्त करते हैं वहीं कोल्हू से हमें यह केवल 20 प्रतिशत ही प्राप्त होता है। कई डॉक्टरों ने भी इस तेल को काफी सराहा है। उन्होंने बताया कि यह तेल 100 प्रतिशत हेल्दी होता है। देसी पद्दति से तैयार यह तेल हमारी संस्कृति को भी दर्शाता है।
कोल्हू के तेल के कई फायदे

इस तेल के अनगिनत फायदे हैं। यह कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी से बचाने में भी सहायक है। क्योंकि इस तेल में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसे अनाजों से तैयार करते हैं। पुष्पेंद्र अपने दो कोल्हू में सरसो, नारियल, मूंगफली, तिलहन और अलसी को तेल तैयार करते हैं। बैल संचालित वह दो कोल्हू तैयार कर चुके हैं और तीसरा लगाने की तैयारी है।
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