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 Ambala By-election: हरियाणा की इस लोकसभा सीट पर जल्द हो सकता है उपचुनाव, तैयारी में जुटी बीजेपी, कांग्रेस

 अंबाला लोकसभा उपचुनाव: अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद इस सीट को खाली घोषित कर दिया गया है, ऐसे में अब अंबाला में उपचुनाव की दिशा भी तेज हो गई हैं.
 
हरियाणा की इस लोकसभा सीट पर जल्द हो सकता है उपचुनाव, तैयारी में जुटी बीजेपी, कांग्रेस
 अंबाला लोकसभा उपचुनाव: अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद चुनाव आयोग ने अंबाला लोकसभा सीट खाली करने की घोषणा कर दी है। अब यह सवाल चर्चा में है कि अंबाला सीट लोकसभा सीट उपचुनाव होगी या नहीं? मौजूदा समय की बात करें तो लोकसभा चुनाव में 1 साल से भी कम समय में बचत करें। हालांकि, सांसद रतन लाल की मृत्यु के समय चुनाव में एक साल से ज्यादा का वक्त था। ऐसे में अब राज्य में उपचुनाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

इस बारे में हमने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वकील और राजनीतिक मामलों के जानकार संदीप गोयत से खास बातचीत की. संदीप गोयत ने बताया कि नियमों के अनुसार अगर कोई भी सीट एक साल से ज्यादा का समय रहते खाली हो जाती है तो उस सीट पर 6 महीने के भीतर दोबारा उपचुनाव करवाने जरूरी होते हैं. यह कोर्ट की गाइडलाइन है.

अंबाला लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां से सांसद रतनलाल कटारिया का निधन 18 मई को हुआ था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ 30 मई को ली थी. यानी जब अंबाला लोकसभा सीट को चुनाव आयोग द्वारा खाली घोषित किया गया, उस समय अगले लोकसभा चुनाव में 1 साल से ज्यादा का समय बचा था. ऐसी सूरत में सरकार के लिए उपचुनाव करवाना जरूरी है.

वहीं इसका दूसरा पहलू यह है कि अगर राज्य सरकार केंद्र सरकार से बात करें और केंद्र सरकार राज्य सरकार की सिफारिश पर चुनाव आयोग से बात करे और उन्हें यह भरोसा दिलाए के किन्हीं खास परिस्थितियों के चलते इतने कम समय में दोबारा चुनाव करवाना संभव नहीं है. इसके बाद अगर चुनाव आयोग इस बात को मान लेता है तब उपचुनाव को टाला जा सकता है.

ऐसी स्थिति में विपक्ष के पास सिर्फ कोर्ट जाने का रास्ता ही बचता है, जैसाकि हरियाणा में पहले देखा गया था. ऐलनाबाद उपचुनाव के वक्त सरकार चुनाव करवाने के मूड में नहीं थी, जिसपर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला को हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा. जिसके बाद वहां पर चुनाव करवाए गए थे. अंबाला में उपचुनाव न होने की सूरत में को लेकर भी विपक्ष के पास कोर्ट के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा.

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