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 एक्सक्लूसिव: स्कैम 2 फेम गगन देव रियार बोले- जैसा मेरा चेहरा था वैसा था, सोचा नहीं था कोई मुझे लीड रोल देगा...

 
Exclusive: स्कैम 2 फेम गगन देव रियार बोले- मेरी जैसी शक्ल है, मुझे लगा नहीं था कि मुझे कोई लीड भूमिका देगा...
 वेब सीरीज स्कैम 2 - द तेलगी स्टोरी इनदिनों ओटीटी प्लेटफार्म सोनी लिव पर स्ट्रीम कर रही है. करोड़ों के स्टैम्प घोटाले और उसके पीछे के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की कहानी यह सीरीज कहती है. सीरीज में अब्दुल करीम तेलगी की भूमिका में इनदिनों अभिनेता गगन देव रियार जमकर वाहवाही बटोर रहे हैं. इस किरदार से जुड़ने और उससे जुड़ी तैयारियों पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत.

हंसल सर ने मेरा पहले का काम देखा था, जो मेरी पहले सीरीज आयी थी ए सूटेबल बॉय. उसमें उन्होंने मुझे नोटिस किया था. जब उनके पास ये स्क्रिप्ट आयी तो उन्हें लगा कि मैं सही रहूंगा, जिसके बाद उन्होने मुझे कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के जरिये अप्रोच किया. उन्होंने कहा कि हंसल सर चाहते हैं कि आप ये रोल करो, जिसके बाद मैंने वहां जाकर ऑडिशन दिया.ऑडिशन पहला वाला सफल नहीं हुआ, तो दो तीन दिन बाद मुझे फिर से कोशिश करनी पड़ी. इस बार थोड़ा होमवर्क करके गया था. जैसे ही मैं ऑडिशन देकर बाहर आ रहा था. मुकेश छाबड़ा ने मुझे थम्स अप दिखा दिया और कहा कि मैं ऑडिशन हंसल सर को भेज रहा हूं. मैं घर की तरफ निकला कि चलो एक सीढ़ी पार हो गयी.मजे की बात ये थी कि मैं इससे पहले घर पहुंचता था. मुझे हंसल सर का कॉल आ गया. उन्होंने कहा कि गगन तुम ये रोल करोगे.

दूसरे ऑडिशन में ऐसा क्या खास किया था, जो आपको कुछ मिनटों में ही चुन लिया गया?

ऑडिशन में मुझे एक सीन दिया गया था. फल बेचने वाला. कहा जाता है कि जब वो फ्रूट्स बेचता था, तो वो सबसे पहले खाली हो जाते थे और बाकी लोग बस देखते रह जाते थे. वो इतना अच्छा सेल्समैन था. मुझे बस वो बेचने का आईडिया क्रैक था. मैंने कुछ मिमिक्री डाली. कुछ गाने डाले. उसको थोड़ा एंटरटेनिंग बनाया.हंसल सर को वो पसंद आ गया.

किरदार में जाने का पूरा प्रोसेस क्या था?

सबसे पहले मैंने स्क्रिप्ट पढ़नी शुरू की कि डायलॉग क्या लिखें गए हैं. किस तरह से कहानी आगे जाती है. सबकुछ अच्छे से समझा. उसके बाद मुझे वजन भी बढ़ाना था. बीस किलो वजन मैंने तीन से चार महीने में बढ़ाया, लेकिन मुझे वजन बढ़ाने के बाद भी शूटिंग के लिए इंतजार करना पड़ा, क्योंकि शूटिंग आगे बढ़ गयी. वो वजन लेकर मैं आठ से नौ महीने घर पर बैठा रहा. नौ महीने बाद फिर से रीडिंग शुरू हुई और मैं उसके बाद खानापुर गया. वहां जाकर मैंने वहां के दुकानदारों और आम लोगों से बातचीत की. उनका लहजा और भाषा पर गौर किया. क्या घुमाव है. मैं वहां से रिकॉर्डिंग करके ले आया और उसे अपनी भाषा में लाने की प्रैक्टिस शुरू की.

आप तेलगी के परिवार से नहीं मिले?

नहीं, मैं परिवार से नहीं मिला. मैं बेवजह किसी विवाद को बढ़ाना नहीं चाहता था. इसके साथ ही ये भी नहीं चाहता था कि किसी के मन को ठेस पहुंचे.

आपने बीस किलो वजन दो से ढाई सालों तक बढ़ाए रखा क्या वह हेल्थ के लिहाज से जोखिम से भरा नहीं था?

मुझे प्रोडक्शन की तरफ से न्यूट्रिशियन मिले थे, जो भी मैं खा या पी रहा था वों हेल्दी जोन में था. अभी हाल में मैंने अपने सारे टेस्टस भी करवाएं तो कोई समस्या नहीं हुई.

स्कैम का पहला सीजन बहुत लोकप्रिय था, इस बार जिम्मेदारी आपके कंधों पर थी क्या शूटिंग के दौरान नर्वस थे?

हां पहले दिन नर्वस था. इस सीरीज में एक तुकाराम का जो किरदार है. उसे लोकप्रिय अभिनेता समीर धर्माधिकारी ने किया हैं. मुझे शुरुआत में पता ही नहीं था कि उसे वो करने वाले हैं. मैं सेट पर पहुंचा. जब निर्देशक तुषार सर ने मुझे उनसे मिलवाया तो वो नीचे बैठे हुए थे. मैं उनको देख नहीं पाया. वहां एक जूनियर आर्टिस्ट बैठे हुए थे उनको नमस्ते करने लगा. इस कदर मैं नर्वस था. तुषार सर समझ गए उन्होने फिर मुझे बताया ये नहीं ये हैं तुकाराम, तो नर्वस था. समय के साथ धीरे - धीरे पता चला.

इस सीरीज को करने से पहले स्टैम्प पेपर घोटाले के बारे में आपको कितना पता था?

मुझे इस स्कैम के बारे में उतना ही पता था, जितना उस वक़्त एक आम आदमी को पता था, लेकिन इतनी डिटेलिंग में की कि वों स्कैम किस तरह से किया गया. इसके पीछे कितने लोगों का हाथ था. कैसे उसने ये प्लान बनाया. ये सब मुझे स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद ही मालूम पड़ा.

इस तरह की सीरीज आने के बाद ये चर्चा भी शुरू हो जाती हैं कि ये क्राइम और क्रिमिनल का महिमामंडन करते हैं?

हां ऐसे कमेंट्स मैंने यूट्यूब पर भी पढ़े हैं, लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. हर कहानी के दो पहलू होते हैं. तेलगी को मरने के बाद सारे अपराधों से बरी भी कर दिया था. हम सिर्फ यही नहीं दिखा रहे हैं। हम ये भी दिखा रहे हैं कि ज़ब एक इंसान करता है,तो क्यों करता हैं. कोई इंसान जब ये करता है, तो उसके परिवार या आसपास के लोगों पर क्या असर पड़ता है. पूरा घर कैसे बर्बाद हो जाता है. यह सीरीज ये भी दिखा रही है. यह सिर्फ कहानी का एक पहलू नहीं दिखा रही है.

अपने बारे में कुछ बताइए, किस तरह से अभिनय से जुड़ना हुआ?

1993 में अपने परिवार के साथ पंजाब के पठानकोट से मुंबई आया था. 1996 में मैंने अपनी दसवीं का एग्जाम दिया. गर्मी की छुट्टियां थी।मेरे पापा ने पूछा कि तू एक्टिंग करना चाहेगा क्या. मैंने बोला हां कोशिश कर सकता हूं. असल में मेरे पिता खुद एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें बनने नहीं दिया, तो मेरे जरिये अपना सपना पूरा करना चाहते थे. कॉलेज के दौरान मैंने सबसे ज्यादा थिएटर किया रूपारेल कॉलेज में मराठी थिएटर बहुत जोरों शोरो से होता था. वहां मुझे बहुत अच्छे डायरेक्टर्स मिले. उसके बाद मैंने थिएटर ग्रुप यात्री ज्वाइन किया. कुछ साल वहां काम करने के बाद मैंने सुनील शानदार जी के साथ नाटक किया. वों भी थिएटर का बड़ा नाम हैं फिर मैंने अतुल कुमार के साथ काम किया. मीरा नायर से फिर जुड़ा. लोग काम देखते गए और काम मिलता चला गया. एक नाटक देखने के बाद हनी त्रेहन ने मुझे फिल्म सोन चिड़िया दे दी. एक और नाटक देखने के बाद मीरा नायर ने ए सूटेबल बॉय ऑफर कर दिया.

क्या आपके मन में ये बात थी कि आपको कभी लीड रोल नहीं मिलेगा?

नहीं, मेरा रवैया हमेशा सकारात्मक रहा है. मेरे मन में ये हमेशा से था कि मैं ऐसे ही अच्छा काम करता रहा तो एक ना एक दिन कोई ऐसी चीज मिलेगी, जो मेरी काबिलियत को पहचानेगी. वों स्कैम2 जैसी इतनी बड़ी चीज होगी. ये मैंने नहीं सोचा था.

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