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 51 एडमिशन: हरियाणा के नवोदय विद्यालय में फर्जी जांच के बाद बड़े नेटवर्क का होगा पर्दाफाश!

 
हरियाणा के नवोदय विद्यालय में फर्जी तरह से हुए 51 एडमिशन, जांच के बाद होगा बड़े नेटवर्क का खुलासा
 फरीदाबाद: मोठूका स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में फर्जी दाखिले का मामला सामने आया है। तहसील कर्मचारियों और निजी स्कूल की मिलीभगत से ग्रामीण एरिया के लिए आरक्षित 51 सीटों पर शहर में रहने वाले बच्चों के एडमिशन की शिकायत पुलिस के पास पहुंची हैं। यह खेल पिछले तीन साल से चल रहा था। छांयसा पुलिस ने केस दर्जकर लिया है। जांच के आधार पर इस पूरे नेटवर्क का खुलासा होने की उम्मीद है। फरीदाबाद पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 27 सितंबर को इस संबंध में डाक से थाने में एक शिकायत पहुंची थीं। गांव महावतपुर निवासी एक व्यक्ति ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके दो बच्चे हैं। दोनों बच्चों ने जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छठी में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दिया था। 21 जून को उसका परिणाम आया। परीक्षा परिणाम आने के बाद फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। पीड़ित के अनुसार, देखा गया कि स्कूल में ग्रामीण क्षेत्र के लिए आरक्षित सीटों पर अर्बन एरिया के छात्रों का धड़ल्ले से दाखिला कराया जा रहा था।
 
शिकायतकर्ता ने यह शिकायत जवाहर नवोदय विद्यालय के चेयरमैन के साथ जिला उपायुक्त को भी भेजी थी। इसके बाद जिला उपायुक्त के आदेश पर जांच शुरू की गई। जांच में धोखाधड़ी सामने आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया है। छांयसा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर सुरेंद्र ने बताया कि इस समय थाना स्तर से ही मामले की जांच की जा रही है। जरूरत पड़ने पर इसमें टीम भी गठित की जाएगी।

कई स्कूलों की भूमिका

शिकायत मिलने के बाद कई निजी स्कूलों को आरोपी बनाया गया है। साथ ही फर्जीवाड़े में दाखिला ले चुके 51 छात्रों के अभिभावकों को भी आरोपी बनाया गया है। इन सभी अभिभावकों और संबंधित स्कूलों से पूछताछ की जाएगी। बताया जा रहा है कि फर्जी तरीके से दाखिला लेने वाले अधिकांश बच्चे तिलपत के निकट के हैं। इन बच्चों को डीपी स्कूल समेत वीके इंटरनैशनल स्कूल की ओर से ट्रांसफर व अन्य सर्टिफिकेट जारी किया गया था। इन स्कूलों ने भी प्रमाणपत्र में अपने आपको रूरल क्षेत्र का बताया है। बताया जा रहा है कि आरोपियों ने तहसील कार्यालय से फर्जी तरीके से रूरल क्षेत्र का प्रमाणपत्र बनवाए हैं।

तब जांच रोक दी गई थी

जवाहर नवोदय विद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, 2020 में स्कूल में दाखिला लेने के लिए ज्यादातर छात्र एक ही स्कूल और क्षेत्र से प्रमाणपत्र लेकर आ रहे थे। ऐसे में शक होने पर उच्चाधिकारियों से जांच की मांग की गई, लेकिन सारे बच्चे प्रवेश परीक्षा में पास होकर आए थे, ऐसे में जांच को आगे नहीं बढ़ाया गया।

दाखिले में स्कूल का कोई रोल नहीं है। जो छात्र प्रमाण पत्र लेकर आए, उनका दाखिला लिया गया। जिला उपायुक्त के आदेश पर जांच की गई। इसके बाद फर्जीवाड़ा सामने आया है। मुख्यालय से निर्देश आने के बाद इन बच्चों का भविष्य तय होगा। तब ही तय किया जाएगा कि ये आगे यहां पढ़ाई जारी रख सकते हैं अथवा नहीं।

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