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Adani Case को लेकर आई बड़ी खबर, SEBI की जांच में नहीं मिला कोई सबूत

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Adani-Hindenburg Case Update: सुप्रीम कोर्ट की एक एक्सपर्ट समिति ने कहा है कि वह अडानी ग्रुप के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है।  समिति ने यह भी कहा है कि सेबी (SEBI) विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।

पहले शॉर्ट पोजीशन बनाने का मिला था सबूत

छह सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडानी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया।

सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है रिपोर्ट

समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसे में आंकड़ों के आधार पर सेबी के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए। समिति के लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि कीमतों में हेराफेरी के आरोप में किसी तरह की नियामक विफलता रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक प्रभावशाली प्रवर्तन नीति की जरूरत है, जो सेबी की सांविधिक स्थिति के अनुरूप हो।

सेबी कर रहा है आरोपों की जांच

समिति ने कहा कि वह यह भी नहीं कह सकती कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों या संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन पर सेबी की ओर से नियामकीय विफलता रही है। बाजार नियामक सेबी अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा था और उसके समानांतर शीर्ष अदालत ने समिति की नियुक्ति की थी। 

अडानी ग्रुप ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अडानी समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। एक्सपर्ट समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम सप्रे ने की। इसमें ओ पी भट्ट, के वी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल थे।

FIIs की हिस्सेदारी की होगी जांच

रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी की लिस्टेड कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी की जांच सेबी के इस संदेह के चलते हुई कि अडानी समूह में हिस्सेदारी रखने वाली 13 विदेशी संस्थाओं के स्वामित्व की अंतिम श्रृंखला स्पष्ट नहीं थी। सेबी को 13 विदेशी संस्थाओं की प्रबंधन के तहत संपत्ति में 42 योगदानकर्ताओं की बात पता चली है और इनके बारे में जानकारी जुटायी जा रही है।

जारी हुई रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, 'सेबी का लंबे समय से यह संदेह रहा है कि कुछ सार्वजनिक शेयरधारक वास्तव में सार्वजनिक शेयरधारक नहीं हैं और इन कंपनियों के प्रवर्तकों के मुखौटा हो सकते हैं।' प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की मदद से जांच करने के बावजूद सेबी इन 13 संस्थाओं के अंतिम स्वामित्व का निर्धारण नहीं कर सकी है।

जांच के लिए मिला है 14 अगस्त तक का समय

समिति ने कहा कि बाजार ने अडाणी के शेयरों का पुनर्मूल्यांकन किया है। 'हालांकि वे 24 जनवरी से पहले के स्तर पर नहीं लौटे हैं, लेकिन नए स्तर पर स्थिर हैं। समिति ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 24 जनवरी 2023 के बाद अडानी के शेयरों में खुदरा निवेशकों का जोखिम बढ़ गया है, हालांकि भारतीय शेयर बाजार समग्र रूप से अस्थिर नहीं हैं। न्यायालय ने इस हफ्ते की शुरुआत में अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दिया।

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