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 मशरूम की खेती : किसान बटनमज़ से हो रहे टमाटरमाल, ये हैमज़म की बड़ी संख्या, जानें इसकी सभी डिटेल्स

 
आपको बता दें कि भारत देश के कई राज्यों में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है | यह एक तरह का कवकीय क्यूब होता है, जिसे खाने में सब्जी, अचार और पकोड़े जैसी चीजों को बनाने के इस्तेमाल किया जाता है |  मशरूम के अंदर कई तरह के पोषक तत्व मौजूद है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है | संसार में मशरूम की खेती को हज़ारो वर्षो से किया जा रहा है, किन्तु भारत में मशरूम को तीन दशक पहले से ही उगाया जा रहा है |    हमारे देश में मशरूम की खेती को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में व्यापारिक स्तर पर मुख्य रूप से उगाया जा रहा है |  औषधि के रूप में किया जाता है मशरूम की फसल   भारत में पिछले वर्ष मशरूम का उत्पादन तक़रीबन 1.30 लाख टन के आस-पास था, वही वर्तमान समय में किसानो की रुचि मशरूम की खेती की और अधिक देखने को मिल रही है | हमारे देश में मशरूम को खाने के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है | मशरूम में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय गुण उपस्थित होने के कारण पूरे विश्व में खाने में इसका विशेष महत्व है |    मशरूम के उपयोग से अनेक प्रकार की खाने की चीज़ो को जैसे :- नूडल्स, जैम, ब्रेड, खीर, कूकीज, सेव, बिस्किट, चिप्स, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, सूप, पापड़, सॉस, टोस्ट, चकली  आदि को बनाया जाता है | इसकी अलग-अलग किस्मो को पूरे वर्षा उगाया जा सकता है|   मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण    सरकार द्वारा मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानो को कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं में मशरूम की खेती करने की विधि, मशरूम उत्पादन, मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण, मशरूम बीज उत्पादन तकनीकी प्रसंस्करण आदि विषयो के बार में प्रशिक्षण दिया जा रहा है |    सरकार देगी 50 प्रतिशत अनुदान   राज्य सरकारे मशरूम की खेती करने के  लिए किसानो को 50 प्रतिशत का लागत अनुदान देगी | मशरूम की खेती करने में कम जगह लागत लगती है | जिससे किसान भाई कम समय में मशरूम की खेती कर कई गुना मुनाफा कमा रहे है |   ये हैं मशरूम की उन्नत किस्में   विश्व में मशरूम की कई उन्नत किस्मो का उत्पादन किया जाता है, किन्तु भारत में मशरूम की सिर्फ तीन प्रजातियां पाई जाती है | जिनसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है |  ढिंगरी मशरूम  इस किस्म की मशरूम की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है | सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है, किन्तु सर्दियों के मौसम में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है | क्योकि ऐसी जगहों पर हवाओ में नमी की 80%मात्रा पाई जाती है | मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 45 से 60 दिन का समय लगता है |  दूधिया मशरूम  दूधिया मशरूम की इस प्रजाति को केवल मैदानी इलाको में उगाया जाता है | मशरूम की इस किस्म में बीजो के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है | इसके अलावा मशरूम के फलन के समय इसे वक्त 30 से 35 तापमान की आवश्यकता होती है | इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए 80 प्रतिशत हवा में नमी होनी चाहिए |  श्वेत बटन मशरूम  मशरूम की इस किस्म का इस्तेमाल खाने में सबसे अधिक किया जाता है | श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरम्भ में 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | मशरूम फलन के दौरान इन्हे 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योकि इसके क्यूब को 80 से 85% वायु नमी की आवश्यकता होती है | इसके क्यूब सफ़ेद रंग के दिखाई देते है, जो कि आरम्भ में अर्धगोलाकार होते है |  शिटाके मशरूम किस्म  मशरूम की इस किस्म की खेतो को जापान में विस्तार रूप से किया जाता है | इसके क्यूब आकार में अर्धगोलाकार तथा उनमे हल्की लालिमा दिखाई देती है | इसके बीजो को आरम्भ में 22 से 27 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा क्यूब के विकास के दौरान इन्हे 15 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है |  मशरूम की खेती के लिए महत्वपूर्ण जानकारी   मशरूम की खेती को करने के लिए बंद जगह की आवश्यकता होती है, इसके अलावा भी कई तरह के सामानो की आवश्यकता पड़ती है, जिनके अंदर मशरूम को तैयार किया जाता है | मशरूम की फसल में आरम्भ में उचित लम्बाई और ऊंचाई वाले आयताकार सांचो को तैयार कर लिया जाता है, जो कि एक संदूक की भांति दिखाई देते है |   वर्तमान समय में यह सांचे लकड़ी के अलावा और भी चीजों के बनाये जा रहे है | मशरूम की खेती में चावल की भूषि, भूसा तथा अन्य फसलों की आवश्यकता होती है | भूसा बारिश का भीगा न हो, यदि भूसा कटा न हो तो उसे मशीन से काट लेना चाहिए | जिसके लिए आपको भूसा कटाई मशीन की भी जरूरत होगी |    इसके बाद कटे हुए भूसे को उबाल लिया जाता है, जिसका इस्तेमाल बीजो को उगाने के लिए किया जाता है | भूसे को अधिक मात्रा में उबाला जाता है, जिसके लिए दो बड़े ड्रमों की आवश्यकता होती है|   इसके बाद उबले हुए भूसे को ठंडा कर उन्हें बोरो में भर दिया जाता है, जिसके बाद उन बोरो में बीजो को लगा दिया जाता है | अब इन बोरो के मुँह को रस्सी, टाट, या पॉलीथिन से बाँध दिया जाता है | यह सारी प्रक्रियाओं के करने के बाद इन बोरो में नमी बनाये रखने के लिए एक स्प्रेयर या बड़े कूलर की भी आवश्यकता होती है |  बीजो को उगाने के लिए सामग्री को ऐसे करें  तैयार   मशरूम की खेती में बीजो को उगाने के लिए कूड़ा खाद को तैयार किया जाता है| इसके लिए कृषि के बेकार अवशेषों को उपयोग में लाया जाता है | बारिश में भीगे हुए कृषि अपशिष्टों में उपयोग में नहीं लाया जाता है | लाये गए इन कृषि अपशिष्टों की लम्बाई 8 CM तक होनी चाहिए,   जिससे इन्हे मशीन से काटकर तैयार किया जा सके | कूड़ा खाद को तैयार करते समय माइक्रोफ्लोरा का निर्
 

Mushroom Farming : महंगाई के चलते अब किसानों ने अपना खेती करने का तरीका ही बदल दिया है। यह अब गेहू,जीरी आदि जिसमे लागत ज्यादा है और पैदावार कम है,ऐसी फसलों से दूरी बनानी शुरु कर दी है। इन चीजों को देखते हुए भारत में अब बटन मशरूम ने जगह ले ली है।

जिसको अपनाकर किसान भाई मालामाल हो रहें है। क्योकि इसके लगाने के लिए जगह भी कम लेती है और लागत का खर्च भी कम होता है और पैदावार अधिक होती है। वैसे तो मशरूम की अनेक किस्म है लेकिन भारत में तीन तरह की मशरूम  की किस्म प्रमुख हैं। देश में राज्य सरकारे मशरूम की खेती करने के लिए किसानो को 50 प्रतिशत का लागत अनुदान देगी। 

आपको बता दें कि भारत देश के कई राज्यों में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है | यह एक तरह का कवकीय क्यूब होता है, जिसे खाने में सब्जी, अचार और पकोड़े जैसी चीजों को बनाने के इस्तेमाल किया जाता है |

मशरूम के अंदर कई तरह के पोषक तत्व मौजूद है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है | संसार में मशरूम की खेती को हज़ारो वर्षो से किया जा रहा है, किन्तु भारत में मशरूम को तीन दशक पहले से ही उगाया जा रहा है |

हमारे देश में मशरूम की खेती को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में व्यापारिक स्तर पर मुख्य रूप से उगाया जा रहा है |

औषधि के रूप में किया जाता है मशरूम की फसल 

भारत में पिछले वर्ष मशरूम का उत्पादन तक़रीबन 1.30 लाख टन के आस-पास था, वही वर्तमान समय में किसानो की रुचि मशरूम की खेती की और अधिक देखने को मिल रही है | हमारे देश में मशरूम को खाने के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है | मशरूम में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय गुण उपस्थित होने के कारण पूरे विश्व में खाने में इसका विशेष महत्व है |

मशरूम के उपयोग से अनेक प्रकार की खाने की चीज़ो को जैसे :- नूडल्स, जैम, ब्रेड, खीर, कूकीज, सेव, बिस्किट, चिप्स, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, सूप, पापड़, सॉस, टोस्ट, चकली  आदि को बनाया जाता है | इसकी अलग-अलग किस्मो को पूरे वर्षा उगाया जा सकता है|


मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

सरकार द्वारा मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानो को कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं में मशरूम की खेती करने की विधि, मशरूम उत्पादन, मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण, मशरूम बीज उत्पादन तकनीकी प्रसंस्करण आदि विषयो के बार में प्रशिक्षण दिया जा रहा है | 


सरकार देगी 50 प्रतिशत अनुदान 

राज्य सरकारे मशरूम की खेती करने के  लिए किसानो को 50 प्रतिशत का लागत अनुदान देगी | मशरूम की खेती करने में कम जगह लागत लगती है | जिससे किसान भाई कम समय में मशरूम की खेती कर कई गुना मुनाफा कमा रहे है | 

ये हैं मशरूम की उन्नत किस्में 

विश्व में मशरूम की कई उन्नत किस्मो का उत्पादन किया जाता है, किन्तु भारत में मशरूम की सिर्फ तीन प्रजातियां पाई जाती है | जिनसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है |

ढिंगरी मशरूम

इस किस्म की मशरूम की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है | सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है, किन्तु सर्दियों के मौसम में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है | क्योकि ऐसी जगहों पर हवाओ में नमी की 80%मात्रा पाई जाती है | मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 45 से 60 दिन का समय लगता है |

दूधिया मशरूम

दूधिया मशरूम की इस प्रजाति को केवल मैदानी इलाको में उगाया जाता है | मशरूम की इस किस्म में बीजो के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है | इसके अलावा मशरूम के फलन के समय इसे वक्त 30 से 35 तापमान की आवश्यकता होती है | इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए 80 प्रतिशत हवा में नमी होनी चाहिए |

श्वेत बटन मशरूम

मशरूम की इस किस्म का इस्तेमाल खाने में सबसे अधिक किया जाता है | श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरम्भ में 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | मशरूम फलन के दौरान इन्हे 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योकि इसके क्यूब को 80 से 85% वायु नमी की आवश्यकता होती है | इसके क्यूब सफ़ेद रंग के दिखाई देते है, जो कि आरम्भ में अर्धगोलाकार होते है |

शिटाके मशरूम किस्म

मशरूम की इस किस्म की खेतो को जापान में विस्तार रूप से किया जाता है | इसके क्यूब आकार में अर्धगोलाकार तथा उनमे हल्की लालिमा दिखाई देती है | इसके बीजो को आरम्भ में 22 से 27 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा क्यूब के विकास के दौरान इन्हे 15 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है |

मशरूम की खेती के लिए महत्वपूर्ण जानकारी 

मशरूम की खेती को करने के लिए बंद जगह की आवश्यकता होती है, इसके अलावा भी कई तरह के सामानो की आवश्यकता पड़ती है, जिनके अंदर मशरूम को तैयार किया जाता है | मशरूम की फसल में आरम्भ में उचित लम्बाई और ऊंचाई वाले आयताकार सांचो को तैयार कर लिया जाता है, जो कि एक संदूक की भांति दिखाई देते है | 

वर्तमान समय में यह सांचे लकड़ी के अलावा और भी चीजों के बनाये जा रहे है | मशरूम की खेती में चावल की भूषि, भूसा तथा अन्य फसलों की आवश्यकता होती है | भूसा बारिश का भीगा न हो, यदि भूसा कटा न हो तो उसे मशीन से काट लेना चाहिए | जिसके लिए आपको भूसा कटाई मशीन की भी जरूरत होगी |

इसके बाद कटे हुए भूसे को उबाल लिया जाता है, जिसका इस्तेमाल बीजो को उगाने के लिए किया जाता है | भूसे को अधिक मात्रा में उबाला जाता है, जिसके लिए दो बड़े ड्रमों की आवश्यकता होती है|

 इसके बाद उबले हुए भूसे को ठंडा कर उन्हें बोरो में भर दिया जाता है, जिसके बाद उन बोरो में बीजो को लगा दिया जाता है | अब इन बोरो के मुँह को रस्सी, टाट, या पॉलीथिन से बाँध दिया जाता है | यह सारी प्रक्रियाओं के करने के बाद इन बोरो में नमी बनाये रखने के लिए एक स्प्रेयर या बड़े कूलर की भी आवश्यकता होती है |

बीजो को उगाने के लिए सामग्री को ऐसे करें  तैयार 

मशरूम की खेती में बीजो को उगाने के लिए कूड़ा खाद को तैयार किया जाता है| इसके लिए कृषि के बेकार अवशेषों को उपयोग में लाया जाता है | बारिश में भीगे हुए कृषि अपशिष्टों में उपयोग में नहीं लाया जाता है | लाये गए इन कृषि अपशिष्टों की लम्बाई 8 CM तक होनी चाहिए, 

जिससे इन्हे मशीन से काटकर तैयार किया जा सके | कूड़ा खाद को तैयार करते समय माइक्रोफ्लोरा का निर्

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