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हरियाणा के किसानों को रास आई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’, धान की जगह सब्जी के साथ बाकी फसलों की ओर बढ़ा रुझान

 
मुख्यमंत्री ने धान बाहुल्य जिलों के किसानों को 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना का परिकल्प दिया, जिसके सकारात्मक परिणाम जमीनी स्तर पर देखने को मिल रहे हैं। कुरुक्षेत्र जिले के बन गांव के 4 एकड़ जमीन के किसान अंकुर कुमार ने धान के स्थान पर 3 एकड़ में सब्जियां लगानी आरंभ की और एक एकड़ से टमाटर के 1700-1800 कैरेट का उत्पादन किया, जिससे उसने सब्जियों की 13 लाख रुपये की रिकॉर्ड बिक्री की। इसके लिए किसान ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री की अपील को मानते हुए परम्परागत खेती को छोड़ा और मेरी फसल-मेरी विरासत योजना से प्रभावित होकर सब्जियों की खेती को अपनाया। सब्जियों की सिंचाई में टपका सिंचाई को अपनाया और इससे पानी की बचत भी हुई और कृषि आदान में भी कमी आई और आय में भी इजाफा हुआ।   मुख्यमंत्री ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का परिकल्प सोचा था तो उस समय उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि यह योजना तभी धरातल पर सफल होगी, अगर हम धान बाहुल्य जिलों के किसानों के लिए कोई अनूठी योजना लेकर आएं। अधिकारियों ने दो प्रमुख योजनाएं तैयार की थी, जिसके तहत धान के स्थान पर मक्का, बाजरा और  ज्वार जैसी फसलों का विकल्प चुनने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि तथा जीरो टीलेज मशीन से धान की सीधी बिजाई करने पर 4 हजार रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया।    मुख्यमंत्री का यह निर्णय काफी सकारात्मक परिणाम लेकर आया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने स्वयं धान बाहुल्य जिलों के किसानों से पानी बचाने के लिए धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुआई करने के लिए किसान संवाद कार्यक्रम आरंभ किये थे। इसके फलस्वरूप किसानों ने खरीफ-2022 के दौरान 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बिजाई कर 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। सरकार ने ऐसे किसानों को 29.16 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी। किसानों के इस रुझान को देखते हुए मुख्यमंत्री ने अपने बजट अभिभाषण में वर्ष 2023 -24 के दौरान 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान की सीधी बिजाई के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित करने की घोषणा की है।   आगामी खरीफ सीज़न 2023-24 को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भिवानी व पलवल जिलों के बाद अपने जनसंवाद कार्यक्रम का रुख धान बाहुल्य जिले कुरुक्षेत्र की ओर किया है, जहाँ वे 1 से 3 मई, 2023 तक कुरुक्षेत्र के बड़े गांवों में लोगों से सीधा संवाद करेंगे और मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से पकने वाली फसलों का चयन करने की अपील करेंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र में घोषणा की थी कि 20 वर्ष से अधिक पुराने नहरों व रजबाहों का चरणबद्ध तरीके से जीर्णोद्धार किया जायेगा और मात्र दो महीने में ही इसका असर धरातल पर देखने को मिला, जब 20 अप्रैल को पानीपत जिले के सिंगपुरा गांव से मुनक हेड से खुबडू हेड तक लगभग 44 किलोमीटर भाग के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण का शिलान्यास किया था।     इस भाग की 1972 में लगभग 50 साल पहले लास्ट लाइनिंग की थी। हरियाणा गठन के बाद यह सिंचाई विभाग की एक बड़ी परियोजना है, जिसके तहत नहर की क्षमता 5588 क्यूसिक से बढ़कर 7280 क्यूसिक हो जाएगी। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने दक्षिण हरियाणा की उठान सिंचाई परियोजना के पंपसेट व अन्य उपकरणों की मरम्मत व रजबाहों के नवीनीकरण पर 150 करोड़ रुपये खर्च किये थे, जिसके फ़लस्वरुप चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, नारनौल, लोहारू क्षेत्र में ऐसी-ऐसी टेलों पर पहली बार पानी पहुंचा था, जहां दशकों से पानी नहीं पहुंचा। मुख्यमंत्री के यह कदम जल संरक्षण के प्रति उनके समर्पित भाव को दर्शाता है।
 

हरियाणा की भावी पीढ़ी के लिए जल सरंक्षण की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल भागीरथ के रूप में अब जल सरंक्षण को पूरी तरह से समर्पित हो गए हैं। इसके लिए कोरोना काल के दौरान जब कोई घर से बाहर न निकलने के लिए बाध्य था और कार्यालयों में 'वर्क फ्रॉम होम' की अवधारणा का चलन मजबूरन आरंभ करना पड़ा था। उस समय मुख्यमंत्री ने इस आपदा को अवसर में बदलने का काम किया। उन्होंने जमीन के साथ-साथ पानी भी भावी पीढ़ी को देकर जाने का संकल्प लिया। 

मुख्यमंत्री ने धान बाहुल्य जिलों के किसानों को 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना का परिकल्प दिया, जिसके सकारात्मक परिणाम जमीनी स्तर पर देखने को मिल रहे हैं। कुरुक्षेत्र जिले के बन गांव के 4 एकड़ जमीन के किसान अंकुर कुमार ने धान के स्थान पर 3 एकड़ में सब्जियां लगानी आरंभ की और एक एकड़ से टमाटर के 1700-1800 कैरेट का उत्पादन किया, जिससे उसने सब्जियों की 13 लाख रुपये की रिकॉर्ड बिक्री की। इसके लिए किसान ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री की अपील को मानते हुए परम्परागत खेती को छोड़ा और मेरी फसल-मेरी विरासत योजना से प्रभावित होकर सब्जियों की खेती को अपनाया। सब्जियों की सिंचाई में टपका सिंचाई को अपनाया और इससे पानी की बचत भी हुई और कृषि आदान में भी कमी आई और आय में भी इजाफा हुआ।

मुख्यमंत्री ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का परिकल्प सोचा था तो उस समय उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि यह योजना तभी धरातल पर सफल होगी, अगर हम धान बाहुल्य जिलों के किसानों के लिए कोई अनूठी योजना लेकर आएं। अधिकारियों ने दो प्रमुख योजनाएं तैयार की थी, जिसके तहत धान के स्थान पर मक्का, बाजरा और  ज्वार जैसी फसलों का विकल्प चुनने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि तथा जीरो टीलेज मशीन से धान की सीधी बिजाई करने पर 4 हजार रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया।


मुख्यमंत्री का यह निर्णय काफी सकारात्मक परिणाम लेकर आया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने स्वयं धान बाहुल्य जिलों के किसानों से पानी बचाने के लिए धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुआई करने के लिए किसान संवाद कार्यक्रम आरंभ किये थे। इसके फलस्वरूप किसानों ने खरीफ-2022 के दौरान 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बिजाई कर 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। सरकार ने ऐसे किसानों को 29.16 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी। किसानों के इस रुझान को देखते हुए मुख्यमंत्री ने अपने बजट अभिभाषण में वर्ष 2023 -24 के दौरान 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान की सीधी बिजाई के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित करने की घोषणा की है।

आगामी खरीफ सीज़न 2023-24 को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भिवानी व पलवल जिलों के बाद अपने जनसंवाद कार्यक्रम का रुख धान बाहुल्य जिले कुरुक्षेत्र की ओर किया है, जहाँ वे 1 से 3 मई, 2023 तक कुरुक्षेत्र के बड़े गांवों में लोगों से सीधा संवाद करेंगे और मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से पकने वाली फसलों का चयन करने की अपील करेंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र में घोषणा की थी कि 20 वर्ष से अधिक पुराने नहरों व रजबाहों का चरणबद्ध तरीके से जीर्णोद्धार किया जायेगा और मात्र दो महीने में ही इसका असर धरातल पर देखने को मिला, जब 20 अप्रैल को पानीपत जिले के सिंगपुरा गांव से मुनक हेड से खुबडू हेड तक लगभग 44 किलोमीटर भाग के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण का शिलान्यास किया था। 


इस भाग की 1972 में लगभग 50 साल पहले लास्ट लाइनिंग की थी। हरियाणा गठन के बाद यह सिंचाई विभाग की एक बड़ी परियोजना है, जिसके तहत नहर की क्षमता 5588 क्यूसिक से बढ़कर 7280 क्यूसिक हो जाएगी। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने दक्षिण हरियाणा की उठान सिंचाई परियोजना के पंपसेट व अन्य उपकरणों की मरम्मत व रजबाहों के नवीनीकरण पर 150 करोड़ रुपये खर्च किये थे, जिसके फ़लस्वरुप चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, नारनौल, लोहारू क्षेत्र में ऐसी-ऐसी टेलों पर पहली बार पानी पहुंचा था, जहां दशकों से पानी नहीं पहुंचा। मुख्यमंत्री के यह कदम जल संरक्षण के प्रति उनके समर्पित भाव को दर्शाता है।

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