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 पीले तरबूज की खेती से किसान हुआ मालामाल, प्रति एकड़ 3 लाख की कमाई

 
गर्मी के मौसम में तरबूज तरावट देने का काम करता है। इसके चलते बाजारों में कई किस्मों के तरबूजों की बिक्री हो रही है। गांव रायपुर में एक किसान ने टोक्यो जापान, जूमारेड फ्रांस, नोनिया इजराइल, रेड चीफ चाइना व सकाटा जापान वैरायटी में पीले तरबूज की फसल लगाई है।   अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें कि गांव रायपुर के किसान रामचंद्र बैनीवाल ने 6 एकड़ में विभिन्न प्रकार की सब्जी व पीले रंग का तरबूज उगाया है। जो कि पीला तरबूज लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लोग रामचंद्र बैनीवाल के खेत से ही तरबूज की खरीद कर रहे हैं। इसका स्वाद भी लोगों को खूब भा रहा है।  किसान रामचंद्र का कहना है कि इस समय उनके खेत में पीले तरबूज हैं। उनका दावा है कि लाल रंग के तरबूज के मुकाबले पीले तरबूज का स्वाद ज्यादा बेहतर है और यह ज्यादा मीठा होता है। तरबूज का रंग ऊपर से तो हरा है लेकिन अंदर से पीला और लाल निकलता है।  किसान रामचंद्र का कहना है कि लाल तरबूजों के मुकाबले यह पीला तरबूज थोक में 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि हरा तरबूज 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वह बताते हैं कि इसकी खेती में काफी मेहनत है। 60 दिन में तैयार होने वाली पीले तरबूज की खेती में उन्होने 10 ट्रोली गाय के गोबर की खाद व आम, नीम, कोड़ तुंबा, आसकंद और जड़ी.बूंटी को लिकाकर तैयार मिश्रण का स्प्रे कर फसल में जान डाली है। बिना किसी किटनाशक दवा व स्प्रे का इस्तेमाल नही किया है। किसान रामचंद्र ने बताया कि उन्होने पीले तरबूज के साथ-साथ हरिमिर्च, तोरी, ककड़ी, बैंगन, भिंडी,तर व खबूर्जा की खेती की हुई है। जैविक खेती होने की वजह से आस पास के गांव के लोग खेत से ही खरीदकर ले जाते है। जो कि लोगों को खूब भा रहा है।  क्या आमदनी?  किसान रामचंद्र ने बताया कि उनके पास 6 एकड़ भूमि है। जो कि बिरानी क्षेत्र मेंपड़ती है। पानी कि कमी होने के कारण उन्होने सब्जी की खेती करने का मन बनाया। फिलहाल कड़ी महनत व लगन से प्रति एकड़ के हिसाब से 3 लाख रूपये की कमाई हो रही है।   किसान रामचंद्र ने सरकार से निराश होकर बताया कि सरकार की तरफ से उन्हे कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। संबधित विभाग के अधिकारी खेत में आते जरूर है लेकिन महज एक खाना पूर्ति कर चले जाते है। सरकार किसानों के लिए योजनाएं बहुत लागू करती है लेकिन उस योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है। किसान आधुनिक खेती करने के लिए बहुत महनत करता है लेकिन सरकार की तरफ से कोई सहयोग व सहायता नही मिलती हैं तो किसान हारकर आधुनिक खेती को बीच में ही छोड़ देता है। सरकार किसानों की सुध लें ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
 

सिरसा। चौपटा क्षेत्र के गांव रायपुर में युवा किसान अपनी महनत व लगन से बिरानी जमीन में पीले तरबूज की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर रहा है। किसान ने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती के साथ साथ जैविक खेती का प्रयोग किया है। किसान के खेत में हुई सब्जी व पीले तरबूत खुब भा रहें है। 

गर्मी के मौसम में तरबूज तरावट देने का काम करता है। इसके चलते बाजारों में कई किस्मों के तरबूजों की बिक्री हो रही है। गांव रायपुर में एक किसान ने टोक्यो जापान, जूमारेड फ्रांस, नोनिया इजराइल, रेड चीफ चाइना व सकाटा जापान वैरायटी में पीले तरबूज की फसल लगाई है। 

अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें कि गांव रायपुर के किसान रामचंद्र बैनीवाल ने 6 एकड़ में विभिन्न प्रकार की सब्जी व पीले रंग का तरबूज उगाया है। जो कि पीला तरबूज लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लोग रामचंद्र बैनीवाल के खेत से ही तरबूज की खरीद कर रहे हैं। इसका स्वाद भी लोगों को खूब भा रहा है।

किसान रामचंद्र का कहना है कि इस समय उनके खेत में पीले तरबूज हैं। उनका दावा है कि लाल रंग के तरबूज के मुकाबले पीले तरबूज का स्वाद ज्यादा बेहतर है और यह ज्यादा मीठा होता है। तरबूज का रंग ऊपर से तो हरा है लेकिन अंदर से पीला और लाल निकलता है।

किसान रामचंद्र का कहना है कि लाल तरबूजों के मुकाबले यह पीला तरबूज थोक में 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि हरा तरबूज 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वह बताते हैं कि इसकी खेती में काफी मेहनत है। 60 दिन में तैयार होने वाली पीले तरबूज की खेती में उन्होने 10 ट्रोली गाय के गोबर की खाद व आम, नीम, कोड़ तुंबा, आसकंद और जड़ी.बूंटी को लिकाकर तैयार मिश्रण का स्प्रे कर फसल में जान डाली है। बिना किसी किटनाशक दवा व स्प्रे का इस्तेमाल नही किया है। किसान रामचंद्र ने बताया कि उन्होने पीले तरबूज के साथ-साथ हरिमिर्च, तोरी, ककड़ी, बैंगन, भिंडी,तर व खबूर्जा की खेती की हुई है। जैविक खेती होने की वजह से आस पास के गांव के लोग खेत से ही खरीदकर ले जाते है। जो कि लोगों को खूब भा रहा है।

क्या आमदनी?

किसान रामचंद्र ने बताया कि उनके पास 6 एकड़ भूमि है। जो कि बिरानी क्षेत्र मेंपड़ती है। पानी कि कमी होने के कारण उन्होने सब्जी की खेती करने का मन बनाया। फिलहाल कड़ी महनत व लगन से प्रति एकड़ के हिसाब से 3 लाख रूपये की कमाई हो रही है। 

किसान रामचंद्र ने सरकार से निराश होकर बताया कि सरकार की तरफ से उन्हे कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। संबधित विभाग के अधिकारी खेत में आते जरूर है लेकिन महज एक खाना पूर्ति कर चले जाते है। सरकार किसानों के लिए योजनाएं बहुत लागू करती है लेकिन उस योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है। किसान आधुनिक खेती करने के लिए बहुत महनत करता है लेकिन सरकार की तरफ से कोई सहयोग व सहायता नही मिलती हैं तो किसान हारकर आधुनिक खेती को बीच में ही छोड़ देता है। सरकार किसानों की सुध लें ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।

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