देश की सबसे महंगी गेहूं की किस्म को मिला GI टैग, ये होती हैं इस किस्म की खासियत
![Sharbati Wheat](https://publicharyananews.com/static/c1e/client/99413/uploaded/f4260a0cb0b6341d44cd8d98304594dd.jpg?width=968&height=545&resizemode=4)
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से उत्पन्न शरबती गेहूं देश-दुनिया में काफी लोकप्रिय है। इस गेहूं की खास बात उसके बेहतरीन स्वाद और सोने जैसी चमक है, जिसके कारण इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा सीहोर शरबती गेहूं को GI टैग देने का फैसला लिया गया है।
सीहोर जिले के जनसंपर्क विभाग ने प्रेस नोट जारी करके बताया कि शरबती गेहूं को जीआई टैग के संदर्भ में आवेदन क्रमांक 699 के तहत मान्यता दी गई है। इस निर्णय से अब सीहोर शरबती गेहूं को विश्वसनीयता व असलीत की गारंटी मिल जाएगी और इससे इस उत्पाद की मान्यता और बिक्री में भी वृद्धि होने की संभावना है।
यह एक बहुत बड़ी खुशखबरी है न केवल सीहोर जिले के किसानों के लिए बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के गेहूं उत्पादकों के लिए भी। इससे न केवल इनकम बढ़ेगी बल्कि इससे यह उत्पादों की गुणवत्ता और मान्यता को भी बढ़ावा मिलेगा।4500 रुपये क्विंटल तक है कीमत
अच्छी कीमत के चलते देशभर के व्यापारियों में इस गेहूं की अच्छी-खासी डिमांड है. इस गेहूं की कीमत अन्य किस्मों से अधिक है. जहां लोकल और अन्य किस्म का गेंहू 1800 से लेकर 2500 रुपये क्विंटल तक में बिकता है. वहीं, शरबती गेंहू 4500 रुपये क्विंटल में बिक जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, शरबती गेहूं में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन B और E पाया जाता है. ये स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है.
क्या होता है GI टैग?
GI यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. भारतीय सांसद में वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ लागू किया गया था. इसके तहत भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी क्षेत्र का क्षेत्रीय उत्पाद वहां की पहचान होता है. उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसे जीआई टैग यानी जीयोग्राफिकल इंडिकेटर कहते हैं.